
HOLY COMMUNION
Worship Service
Lectionary Theme: Maundy Thursday; Holy Qurbana: Celebration of the Divine plan of salvation
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Exodus 12:1-20 First Lesson
1. मूसा और हारून जब मिस्र में ही थे, यहोवा ने उनसे कहा,
2. “यह महीना तुम लोगों के लिए वर्ष का पहला महीना होगा।
3. इस्राएल की पूरी जाति के लिए यह आदेश है: इस महीने के दसवें दिन हर एक व्यक्ति अपने परिवार के लोगों के लिए एक मेमना अवश्य प्राप्त करेगा।
4. यदि पूरा मेमना खा सकने वाले पर्याप्त आदमी अपने परिवारों में न हों तो उस भोजन में सम्मिलित होने के लिए अपने कुछ पड़ोसियों को निमन्त्रित करना चाहिए। खाने के लिए हर एक को पर्याप्त मेमना होना चाहिए।
5. एक वर्ष का यह नर मेमना दोषरहित होना चाहिए। यह जानवर या तो एक भेड़ का बच्चा हो सकता है या बकरे का बच्चा।
6. तुम्हें इस जानवर को महीने के चौदहवें दिन तक सावधानी के साथ रखना चाहिए। उस दिन इस्राएल जाति के सभी लोग सन्ध्या काल में इन जानवरों को मारेंगे।
7. इन जानवरों का खून तुम्हें इकट्ठा करना चाहिए। कुछ खून उन घरों के दरवाजों की चौखटों के ऊपरी सिरे तथा दोनों पटों पर लगाना चाहिए जिन घरों में लोग यह भोजन करें।
8. “इस रात को तुम मेमने को अवश्य भून लेना और उसका माँस खा जाना। तुम्हें कड़वी जड़ी—बूटियों और अखमीरी रोटियाँ भी खानी चाहिए।
9. तुम्हें मेमने को पानी में उवालना नहीं चाहिए। तुम्हें पूरे मेमने को आग पर भूनना चाहिए। इस दशा में भी मेमने का सिर, उसके पैर तथा उसका भीतरी भाग ठीक बना रहना चाहिए।
10. उसी रात को तुम्हें सारा माँस अवश्य खा लेना चाहिए। यदि थोड़ा माँस सबेरे तक बच जाये तो उसे आग में अवश्य ही जला देना चाहिए।
11. “जब तुम भोजन करो तो ऐसे वस्त्रों को पहनो जैसे तुम लोग यात्रा पर जा रहे हो तुम लोगों के लबादे तुम्हारी पेटियों में कसे होने चाहिए। तुम लोग अपने जूते पहने रहना और अपनी यात्रा की छड़ी को अपने हाथों में रखना। तुम लोगों को शीघ्रता से भोजन कर लेना चाहिए। क्यों? क्योंकि यह यहोवा का फसह है वह समय जब यहोवा ने अपने लोगों की रक्षा की और उन्हें शीघ्रता से मिस्र के बाहर ले गया।
12. “आज रात मैं मिस्र से होकर गुजरूँगा और मिस्र में प्रत्येक पहलौठे पुत्र को मार डालूँगा। मैं सभी पहलौठे जानवरों और मनुष्यों को मार डालूँगा। मैं मिस्र के सभी देवताओं को दण्ड दूँगा और दिखा दूँगा कि मैं यहोवा हूँ।
13. किन्तु तुम लोगों के घरों पर लगा हुआ खून एक विशेष चिन्ह होगा। जब मैं खून देखूँगा, तो तुम लोगों के घरों को छोड़ता हुआ गुजर जाऊँगा। मैं मिस्र के लोगों के लिए हानिकारक चीज़ें उत्पन्न करूँगा। किन्तु उन बुरी बीमारियों में से कोई भी तुम लोगों को हानि नहीं पहुँचाएगी।
14. “सो तुम लोग आज की इस रात को सदा याद रखोगे, तुम लोगों के लिए यह एक विशेष पवित्र पर्व होगा। तुम्हारे वंशज सदा इस पवित्र पर्व को यहोवा की भक्ति किया करेंगे।
15. इस पवित्र पर्व पर तुम लोग अख़मीरी आटे की रोटियाँ सात दिनों तक खाओगे। इस पवित्र पर्व के आने पर तुम लोग पहले दिन अपने घरों से सारे ख़मीर को निकाल बाहर करोगे। इस पवित्र पर्व के पूरे सात दिन तक किसी को भी ख़मीर नहीं खाना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति ख़मीर खाए तो उसे तुम इस्राएल के अन्य व्यक्तियों से निश्चय ही अलग कर देना।
16. इस पवित्र पर्व के प्रथम और अन्तिम दिनों में धर्म सभा होगी। इन दिनों तुम्हें कोई भी काम नहीं करना होगा। इन दिनों केवल एक काम जो किया जा सकता, वह है अपना भोजन तैयार करना।
17. तुम लोगों को अवश्य अख़मीरी रोटी का पवित्र पर्व याद रखना होगा। क्यों? क्योंकि इस दिन ही मैंने तुम्हारे लोगों के सभी वर्गो को मिस्र से निकाला। अतः तुम लोगों के सभी वंशजों को यह दिन याद रखना ही होगा। यह नियम ऐसा है जो सदा रहेगा।
18. इसलिए प्रथम महीने निसन के चौदहवें दिन की सन्ध्या से तुम लोग अख़मीरी रोटी खाना आरम्भ करोगे। उसी महीने के इक्कीसवें दिन की सन्ध्या तक तुम ऐसी रोटी खाओगे।
19. सात दिन तक तुम लोगों के घरों में कोई ख़मीर नहीं होना चाहिए। कोई भी व्यक्ति चाहे वह इस्राएल का नागरिक हो या विदेशी, जो इस समय ख़मीर खाएगा अन्य इस्राएलियों से अवश्य अलग कर दिया जाएगा।
20. इस पवित्र पर्व में तुम लोगों को ख़मीर नहीं खाना चाहिए। तुम जहाँ भी रहो अख़मीरी रोटी ही खाना।”
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Philippians 2:1-11 Second Lesson
1. फिर तुम लोगों में यदि मसीह में कोई उत्साह है, प्रेम से पैदा हुई कोई सांत्वना है, यदि आत्मा में कोई भागेदारी है, स्नेह की कोई भावना और सहानुभूति है
2. तो मुझे पूरी तरह प्रसन्न करो। मैं चाहता हूँ, तुम एक तरह से सोचो, परस्पर एक जैसा प्रेम करो, आत्मा में एका रखो और एक जैसा ही लक्ष्य रखो।
3. ईर्ष्या और बेकार के अहंकार से कुछ मत करो। बल्कि नम्र बनो तथा दूसरों को अपने से उत्तम समझो।
4. तुममें से हर एक को चाहिए कि केवल अपना ही नहीं, बल्कि दूसरों के हित का भी ध्यान रखे।
5. अपना चिंतन ठीक वैसा ही रखो जैसा मसीह यीशु का था।
6. जो अपने स्वरूप में यद्यपि साक्षात् परमेश्वर था, किन्तु उसने परमेश्वर के साथ अपनी इस समानता को कभी ऐसे महाकोष के समान नहीं समझा जिससे वह चिपका ही रहे।
7. बल्कि उसने तो अपना सब कुछ त्याग कर एक सेवक का रूप ग्रहण कर लिया और मनुष्य के समान बन गया। और जब वह अपने बाहरी रूप में मनुष्य जैसा बन गया
8. तो उसने अपने आप को नवा लिया। और इतना आज्ञाकारी बन गया कि अपने प्राण तक निछावर कर दिये और वह भी क्रूस पर।
9. इसलिए परमेश्वर ने भी उसे ऊँचे से ऊँचे स्थान पर उठाया और उसे वह नाम दिया जो सब नामों के ऊपर है
10. ताकि सब कोई जब यीशु के नाम का उच्चारण होते हुए सुनें, तो नीचे झुक जायें। चाहे वे स्वर्ग के हों, धरती पर के हों और चाहे धरती के नीचे के हों।
11. और हर जीभ परम पिता परमेश्वर की महिमा के लिये स्वीकार करें, “यीशु मसीह ही प्रभु है।”
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1Cor 11:23-34 Epistle
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Matt 26:17-29 Gospel