
Holy Communion English
Worship Service
Lectionary Theme: Birth of Our Saviour-Good News to all; End of Twenty five Days Lent
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Micah 5:1-9 First Lesson
1. हे सुदृढ़ नगर, अब तू अपने सैनिकों को एकत्र कर। शत्रु आक्रमण करने को हमें घेर रहे हैं! वे इस्राएल के न्यायाधीश के मुख पर अपने सोटे से प्रहार करेंगे।
2. हे बेतलेहेम एप्राता, तू यहूदा का छोटा नगर है और तेरा वंश गिनती में बहुत कम है। किन्तु पहले तुझसे ही “मेरे लिये इस्राएल का शासक आयेगा।” बहुत पहले सुदूर अतीत में उसके घराने की जड़े बहुत पहले से होंगी।
3. यहोवा अपने लोगों को उनके शत्रुओं के हाथ में सौंप देगा। वे उस समय तक वही पर बने रहेंगे जब तक वह स्त्री अपने बच्चे को जन्म नहीं देती। फिर उसके बन्धु जो अब तक जीवित हैं, लौटकर आयेंगे। वे इस्राएल क लोगों के पास लौटकर आयेंगे।
4. तब इस्राएल का शासक खड़ा होगा और भेड़ों के झुण्ड को चरायेगा। यहोवा की शक्ति से वह उनको राह दिखायेगा। वह यहोवा परमेश्वर के अदभुत नाम की शक्ति से उनको राहें दिखायेगा। वहाँ शान्ति होगी, क्योंकि ऐसे उस समय में उसकी महिमा धरती के छोरों तक पहुँच जायेगी।
5. वहाँ शान्ति होगी, यदि अश्शूर की सेना हमारे देश में आयेगी और वह सेना हमारे विशाल भवन तोड़ेगी, तो इस्राएल का शासक सात गड़ेरिये चुनेगा। नहीं, हम आठ मुखियाओं को पायेंगे।
6. वे अश्शूर के लोगों पर अपनी तलवारों से शासन करेंगे। नंगी तलवारों के साथ उन का राज्य निम्रोद की धरती पर रहेगा। फिर इस्राएल का शासक हमको अश्शूर के लोगों से बचायेगा। वे लोग जो हमारी धरती पर चढ़ आयेंगे और वे हमारी सीमाएँ रौंद डालेंगे।
7. फिर बहुत से लोगों के बीच में याकूब के बचे हुए वंशज ओस के बूँद जैसे होंगे जो यहोवा की ओर से आई हो। वे घास के ऊपर वर्षा जैसे होंगे। वे लोगों पर निर्भर नहीं होंगे। वे किसी जन की प्रतीक्षा नहीं करेंगे। वे किसी पर भी निर्भर नहीं होंगे।
8. बहुत से लोगों के बीच याकूब के बचे हुए लोग उस सिंह जैसे होंगे जो जंगल के पशुओं के बीच होता है। जब सिंह बीच से गुजरता है तो वह वहीं जाता है, जहाँ वह जाना चाहता है। वह पशु पर टूट पड़ता है और उस पशु को कोई बचा नहीं सकता है। उसके बचे हुए लोग ऐसे ही होंगे।
9. तुम अपने हाथ अपने शत्रुओं पर उठाओगे और तुम उनका विनाश कर डालोगे।
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Philippians 2:5-11 Second Lesson
5. अपना चिंतन ठीक वैसा ही रखो जैसा मसीह यीशु का था।
6. जो अपने स्वरूप में यद्यपि साक्षात् परमेश्वर था, किन्तु उसने परमेश्वर के साथ अपनी इस समानता को कभी ऐसे महाकोष के समान नहीं समझा जिससे वह चिपका ही रहे।
7. बल्कि उसने तो अपना सब कुछ त्याग कर एक सेवक का रूप ग्रहण कर लिया और मनुष्य के समान बन गया। और जब वह अपने बाहरी रूप में मनुष्य जैसा बन गया
8. तो उसने अपने आप को नवा लिया। और इतना आज्ञाकारी बन गया कि अपने प्राण तक निछावर कर दिये और वह भी क्रूस पर।
9. इसलिए परमेश्वर ने भी उसे ऊँचे से ऊँचे स्थान पर उठाया और उसे वह नाम दिया जो सब नामों के ऊपर है
10. ताकि सब कोई जब यीशु के नाम का उच्चारण होते हुए सुनें, तो नीचे झुक जायें। चाहे वे स्वर्ग के हों, धरती पर के हों और चाहे धरती के नीचे के हों।
11. और हर जीभ परम पिता परमेश्वर की महिमा के लिये स्वीकार करें, “यीशु मसीह ही प्रभु है।”
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Galatians 4:1-7 Epistle
1. मैं कहता हूँ कि उत्तराधिकारी जब तक बालक है तो चाहे सब कुछ का स्वामी वही होता है, फिर भी वह दास से अधिक कुछ नहीं रहता।
2. वह अभिभावकों और घर के सेवकों के तब तक अधीन रहता है, जब तक उसके पिता द्वारा निश्चित समय नहीं आ जाता।
3. हमारी भी ऐसी ही स्थिति है। हम भी जब बच्चे थे तो सांसारिक नियमों के दास थे।
4. किन्तु जब उचित अवसर आया तो परमेश्वर ने अपने पुत्र को भेजा जो एक स्त्री से जन्मा था। और व्यवस्था के अधीन जीता था।
5. ताकि वह व्यवस्था के अधीन व्यक्तियों को मुक्त कर सके जिससे हम परमेश्वर के गोद लिये बच्चे बन सकें।
6. और फिर क्योंकि तुम परमेश्वर के पुत्र हो, सो उसने तुम्हारे हृदयों में पुत्र की आत्मा को भेजा। वही आत्मा “हे अब्बा, हे पिता” कहते हुए पुकारती है।
7. इसलिए अब तू दास नहीं है बल्कि पुत्र है और क्योंकि तू पुत्र है, इसलिए तुझे परमेश्वर ने अपना उत्तराधिकारी भी बनाया है।
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Luke 2:1-14 Gospel
1. उन्हीं दिनों औगुस्तुस कैसर की ओर से एक आज्ञा निकाली कि सारे रोमी जगत की जनगणना की जाये।
2. यह पहली जनगणना थी। यह उन दिनों हुई थी जब सीरिया का राज्यपाल क्विरिनियुस था।
3. सो गणना के लिए हर कोई अपने अपने नगर गया।
4. यूसुफ भी, क्योंकि वह दाऊद के परिवार एवं वंश से था, इसलिये वह भी गलील के नासरत नगर से यहूदिया में दाऊद के नगर बैतलहम को गया।
5. वह वहाँ अपनी मँगेतर मरियम के साथ, (जो गर्भवती भी थी,) अपना नाम लिखवाने गया था।
6. ऐसा हुआ कि अभी जब वे वहीं थे, मरियम का बच्चा जनने का समय आ गया।
7. और उसने अपने पहले पुत्र को जन्म दिया। क्योंकि वहाँ सराय के भीतर उन लोगों के लिये कोई स्थान नहीं मिल पाया था इसलिए उसने उसे कपड़ों में लपेट कर चरनी में लिटा दिया।
8. तभी वहाँ उस क्षेत्र में बाहर खेतों में कुछ गड़रिये थे जो रात के समय अपने रेवड़ों की रखवाली कर रहे थे।
9. उसी समय प्रभु का एक स्वर्गदूत उनके सामने प्रकट हुआ और उनके चारों ओर प्रभु का तेज प्रकाशित हो उठा। वे सहम गए।
10. तब स्वर्गदूत ने उनसे कहा, “डरो मत, मैं तुम्हारे लिये अच्छा समाचार लाया हूँ, जिससे सभी लोगों को महान आनन्द होगा।
11. क्योंकि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे उद्धारकर्ता प्रभु मसीह का जन्म हुआ है।
12. तुम्हें उसे पहचान ने का चिन्ह होगा कि तुम एक बालक को कपड़ों में लिपटा, चरनी में लेटा पाओगे।”
13. उसी समय अचानक उस स्वर्गदूत के साथ बहुत से और स्वर्गदूत वहाँ उपस्थित हुए। वे यह कहते हुए प्रभु की स्तुति कर रहे थे,
14. “स्वर्ग में परमेश्वर की जय हो और धरती पर उन लोगों को शांति मिले जिनसे वह प्रसन्न है।”